प्रस्तावना

प्रदश्े ा की भूमि एवं जलवायु फलदार पौधों के लिए उपयुक्त है। प्रदेश के कतिपय जनपद के क्षेत्र, फल विशेष उत्पादन के लिए अधिक उपयुक्त है। इन क्षेत्रों में फल विशेष के गुणवत्तायुक्त उत्पादन तथा क्षेत्र विस्तार को प्रोत्साहन करने हेतु फल पट्टी के रूप में विकसित करने का प्रयास किया गया है। प्रदश्े ा में 3 फलों आम, अमरूद एवं आवंला के विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा फल पट्टी घोषित की गयी हैं। आम फलपट्टी के अन्तर्गत जनपद सहारनपुर, मेरठ, बागपत, बुलन्दशहर, अमरोहा, प्रतापगढ, वाराणसी, लखनऊ, उन्नाव, सीतापुर, हरदोई, फैजाबाद तथा बाराबंकी के 31 विकास खण्ड आच्छादित हैं। अमरूद फलपट्टी के अन्तर्गत जनपद कौशाम्बी एवं बदायूॅं के 06 विकास खण्ड चयनित है तथा आंवला फलपट्टी के अन्तर्गत जनपद प्रतापगढ़ के 2 विकास खण्ड चयनित किये गये हैं। फल विशेष के गुणवत्तायुक्त उत्पादन एवं क्षेत्र विस्तार हेतु फल पट्टियों का विकास कर बागवानी को बढ़ावा देने का उल्लेख प्रदेश सरकार के ’’संकल्प पत्र 2017’’ में उल्लेख है, जिसे दृष्टिगत रखते हुए फलपट्टियों का विकास कर बागवानी को बढ़ावा दिये जाने की कार्ययोजना तैयार की गयी है। इस कार्य योजना में चयनित कृषकों को चयनित क्षेत्र विस्तार, कैनोपी मैनेजमंटे , प्लास्टिक क्रेटस, हार्वेस्टर, पैक हाउस निर्माण, एकीकृत कीट नाशी प्रबन्धन (आई0पी0एम0)/एकीकृत पोषण तत्व प्रबन्धन (आई0एन0एम0), पावर स्प्रेयर आदि को सहायतित मूल्य पर उपलब्ध कराना समावेशित किया गया है।

उद्देश्य

फलपट्टी विकास कर बागवानी विकास का उद्देश्य निम्नवत हैः-

  1. संहत क्षेत्रों में गुणवत्तायुक्त फल उत्पादन तथा क्षेत्र विस्तार करना।
  2. पुराने अल्प उत्पादक बागों का जीर्णाेद्धार एवं कैनोपी प्रबन्धन।
  3. विपणन/भण्डारण की सुगमता हेतु प्लास्टिक क्रेट्स का वितरण।
  4. आम की तुड़ाई से क्षति बचाने हेतु मैंगो हार्वेस्टर को उपलब्ध कराना।
  5. फलों के भण्डारण/ग्रेडिंग हेतु आनफार्म पैक हाउस निर्माण कराना।
  6. कीट/व्याधि नाशक रसायनों से होने वाले प्रदूषण/हानियों से सुरक्षा हेतु आई0पी0एम0/ आई0एन0एम0/पैकेज को प्रोत्साहित करना।
  7. कीट नाशक रसायनों के छिड़काव हेतु पावर स्प्रेयर का वितरण।
  8. फलोत्पादन की तकनीकों एवं तुड़ाई के उपरान्त क्षतियों को कम करने आदि के सम्बन्ध में कृषको/ बागवानों को प्रशिक्षित करना।
  9. योजना के प्रचार-प्रसार हेतु गोष्ठियों का आयोजन करना।

दिशा निर्देश का प्रभावी अवधि

फलपट्टी का विकास कर बागवानी को बढ़ावा देने विषयक यह दिशा-निर्देश वर्ष 2017-18 से प्रभावी होगी।

लाभार्थी चयन की प्रक्रिया

उचित लाभार्थी का चयन कार्यक्रम की सफलता एवं इम्पैक्ट सुनिश्चित करने के लिये एक महत्वपूर्ण बिन्दु है। इसे पूरी पारदर्शिता एवं सावधानी पूर्वक सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है। सर्वप्रथम कृषकों को कार्यक्रमों की पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है। इच्छुक कृषकों को योजना के अन्तर्गत लाभार्थी चयन हेतु ऑनलाइन पंजीकरण कृषि विभाग, उ0प्र0 की वेबसाइट नचंहतपबनसजनतमण्बवउ पर कराना होगा। तदुपरान्त उन्हंे निर्धारित प्रारूप पर प्रार्थना पत्र जिला उद्यान अधिकारी को देना होगा (एनेक्जर-1 पर दिया गया है), जिसके साथ कृषक होने का साक्ष्य, (किसान जोत बही), प्रस्तावित क्षेत्रफल में जिसमे कार्यक्रम लिया जाना हो विषयक साक्ष्य, रू0-10/- के स्टाम्प पर अनुबन्ध-पत्र संलग्न किया जायेगा। प्राप्त आवेदन-पत्र सम्बन्धित योजना प्रभारी/क्षेत्रीय कार्यकर्ता के स्थलीय निरीक्षण की आख्या/संस्तुति तथा खण्ड विकास अधिकारी द्वारा संस्तुति/अग्रसारण के उपरान्त जिला उद्यान अधिकारी के कार्यालय में प्रस्तुत किये जायेंगे, जिन्हें उनके पूर्ण पता सहित एक पंजिका में क्रमबद्ध रूप में अभिलिखित किया जायेगा। इस प्रकार प्राप्त पूर्ण आवेदन पत्र प्रथम आवक-प्रथम पावक के आधार पर जिला उद्यान अधिकारी/अधीक्षक राजकीय उद्यान द्वारा स्वीकृति पत्र जारी किया जायेगा। जिला उद्यान अधिकारी द्वारा स्वीकृति जारी होने पर आवेदनकर्ता योजना का लाथार्थी माना जायेगा। लाभार्थी चयन स्वीकृत पत्र का प्रारूप एनेक्जर-2 पर दिया गया है।

लाभार्थी चयन हेतु पात्रता की शर्ते

योजना की सफलता का मुख्य आधार उपयुक्त लाभार्थियों का चयन ही होता है। अतएव लाभार्थियों के चयन के संबंध में निम्न बिन्दुओं को ध्यान में रखा जायेः-

  1. लाभार्थियों का चयन ऑनलाइन के माध्यम से उपयुक्तता के आधार पर प्रथम आवक-प्रथम पावक के सिद्धांत पर किया जाएगा।
  2. लाभार्थियों के पास अपना बाग हो तथा जो अनुदान के अतिरिक्त वांछित धनराशि की व्यवस्था करने में सक्षम हो।
  3. योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार विभिन्न समाचार पत्रों, इलेक्ट्रानिक प्रिंट मीडिया आदि के माध्यम से किया जायेगा।
  4. योजनान्तर्गत फलपट्टी क्षेत्र (बिन्दु सं0-6 के अनुसार) के सभी कृषक पात्र है, परन्तु लघु सीमान्त एवं महिला कोटि के कृषकों को वरीयता प्रदान की जाये।
  5. प्रदश्े ा सरकार द्वारा समय-समय पर जारी आरक्षण नियम लागू होंगे।
  6. योजनान्तर्गत एक लाभार्थी को अधिकतम 4.0 हे0 की सीमा तक अनुदान अनुमन्य होगा। इस सीमा तक अनुदान एक वर्ष अथवा उससे अधिक अवधि में लाभ दिया जा सकेगा।
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